DA Arrear News – भारत में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते (DA) का एरियर एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने DA की तीन किस्तों को रोकने का फैसला किया था, जिसके बाद से यह मुद्दा लगातार चर्चा में रहा है। अब सरकार ने इस विषय पर बड़ा अपडेट जारी किया है। हम जानते हैं कि यह मुद्दा कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए काफी अहम है, क्योंकि इसने उनके वेतन और पेंशन को प्रभावित किया है। तो आइए, हम जानते हैं इस पर क्या नया अपडेट है और सरकार का क्या रुख है।
महामारी के दौरान DA की रोकथाम
कोविड-19 महामारी के दौरान, जब दुनिया भर में आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ था, भारत सरकार ने भी कुछ कड़े फैसले लिए थे। इनमें से एक महत्वपूर्ण निर्णय था केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के DA की तीन किस्तों को रोकना। सरकार ने यह निर्णय 2020 में लिया, जब देश को महामारी के कारण आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा था। जनवरी 2020 से लेकर जून 2021 तक इन तीन किस्तों को रोक लिया गया था, जिनमें से प्रत्येक किस्त का DA 4%, 3% और 4% था।
इस फैसले का सीधा असर 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ा, जिन्हें लगभग 18 महीने तक DA की बढ़ोतरी का लाभ नहीं मिल पाया। इस दौरान महंगाई भत्ता (DA) के रोके गए हिस्से के कारण कर्मचारियों का वेतन और पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं हो पाई।
कर्मचारियों को हुआ भारी नुकसान
इस 18 महीने के दौरान DA के न मिलने से कर्मचारियों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ। अनुमान के अनुसार, लेवल-1 के कर्मचारियों को लगभग ₹40,000 से ₹50,000 तक का नुकसान हुआ, वहीं लेवल-10 के कर्मचारियों को ₹1,00,000 से ₹1,20,000 तक का नुकसान हुआ। उच्च स्तर के कर्मचारियों के लिए यह नुकसान और भी ज्यादा था। लेवल-14 के कर्मचारियों को ₹2,00,000 से ₹2,50,000 तक का नुकसान हुआ। इसके अलावा पेंशनभोगियों को भी इस कमी का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनकी पेंशन में भी DA की बढ़ोतरी शामिल होती है।
2021 के बाद की स्थिति
2021 के बाद, सरकार ने DA की बढ़ोतरी फिर से शुरू कर दी, लेकिन पिछले 18 महीने के एरियर का भुगतान नहीं किया। सरकार ने साफ तौर पर कह दिया कि वह इस एरियर का भुगतान नहीं करेगी। कर्मचारियों के लिए यह बड़ा झटका था। हालांकि, इसके बाद DA में लगातार बढ़ोतरी हुई। 2022 में DA 34% से बढ़कर 38% हुआ, और अक्टूबर 2022 तक यह 42% तक पहुंच गया। 2024 में तो DA 50% के पार पहुंच चुका है, जो कर्मचारियों के वेतन और महंगाई भत्ते के अनुपात को बेहतर बनाता है।
कर्मचारी संगठनों की मांगें
कर्मचारी संगठन लगातार DA के एरियर की मांग कर रहे हैं। उनके द्वारा उठाई गई प्रमुख मांगों में 18 महीने का DA एरियर शामिल है, जो जनवरी 2020 से जून 2021 तक के रुके हुए DA का भुगतान चाहते हैं। इसके अलावा, कर्मचारी संगठन 8वें वेतन आयोग के गठन, पुरानी पेंशन योजना (OPS) की वापसी, पेंशन नियमों में बदलाव, और रिक्त पदों को भरने की मांग भी कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि सरकार को कर्मचारियों के हक का सम्मान करना चाहिए।
सरकार का रुख
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह DA के एरियर का भुगतान नहीं करेगी। इसके पीछे सरकार के प्रमुख तर्क हैं – पहला, वित्तीय बोझ, क्योंकि सरकार के अनुसार इस एरियर का भुगतान करने से लगभग ₹35,000 से ₹40,000 करोड़ का अतिरिक्त खर्चा होगा। दूसरा, सरकार का फोकस अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर है, जिसके तहत उसे स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य क्षेत्रों में खर्च करना है। इसके अलावा, सरकार ने इस कदम को एक आपातकालीन स्थिति का निर्णय बताया और कहा कि अब इसे पूर्ववत करना संभव नहीं है।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार का यह रुख पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। उनका कहना है कि जब वे महामारी के दौरान भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे थे, तब उन्हें उनका हक नहीं मिला। एक कर्मचारी रमेश कुमार का कहना है, “हमने महामारी के दौरान भी काम किया और कई कर्मचारियों ने अपनी जान भी गंवाई। लेकिन अब जब हम अपना हक मांग रहे हैं, तो हमें मना कर दिया जा रहा है।”
संभावित समाधान
इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए कई विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार आंशिक रूप से DA एरियर का भुगतान कर सकती है, ताकि कर्मचारियों को कुछ राहत मिल सके। इसके अलावा, सरकार एक विशेष पैकेज देने पर विचार कर सकती है, जैसे बोनस या अन्य वित्तीय लाभ। कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच खुला संवाद होना चाहिए, ताकि एक सामान्य समझ पर पहुंचा जा सके।
आगे का रास्ता
18 महीने का DA एरियर आज भी केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। यह केवल एक वित्तीय मसला नहीं है, बल्कि यह उनके अधिकारों और सम्मान से जुड़ा हुआ सवाल है। सरकार को इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और कर्मचारियों को उनका हक मिलना चाहिए। वहीं, कर्मचारियों को भी अपनी मांगों को शांतिपूर्ण तरीके से उठाना चाहिए। उम्मीद है कि इस मुद्दे पर कोई सकारात्मक समाधान निकलेगा, जो दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य हो।