Property Rights For Daughters – आजकल सोशल मीडिया पर एक खबर खूब वायरल हो रही है जिसमें कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक नया फैसला सुनाया है और अब बेटियों को पिता की संपत्ति में हक नहीं मिलेगा। इस खबर ने कई लोगों को चिंता में डाल दिया है। खासकर बेटियों और उनके परिवारों में इसको लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं। लेकिन क्या वाकई में सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के हक में कोई बड़ा बदलाव किया है? चलिए इस पूरे मामले को आराम से और साफ भाषा में समझते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
असल में सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के हक में कोई नया कानून नहीं बदला है। बल्कि यह जो हालिया फैसला आया है, वह एक खास केस पर आधारित है। उस केस में एक बेटी ने अपने पिता से सालों पहले सारे रिश्ते तोड़ लिए थे। वह ना उनसे मिलती थी, ना कोई संबंध रखती थी। कोर्ट ने कहा कि जब बेटी ने खुद पिता से सारे संबंध तोड़ दिए थे, तो ऐसी स्थिति में उसे संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया जा सकता। लेकिन ये फैसला हर बेटी पर लागू नहीं होता।
बेटियों को कब से मिला बराबरी का हक?
भारत में बेटियों के संपत्ति में बराबरी के हक की शुरुआत साल 2005 में हुई, जब हिंदू उत्तराधिकार कानून में बदलाव किया गया। उससे पहले बेटियों को पूरा हक नहीं मिलता था, लेकिन इस संशोधन के बाद बेटी और बेटा दोनों को पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलने लगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में एक और बड़ा फैसला सुनाया था कि बेटी को यह हक जन्म से ही मिलेगा, भले ही पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई हो या बाद में।
पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति में फर्क
यह समझना बहुत जरूरी है कि पिता की संपत्ति दो तरह की हो सकती है – पैतृक और स्व-अर्जित। पैतृक संपत्ति वह होती है जो पिता को उनके पूर्वजों से मिली हो। इस पर बेटी और बेटे दोनों का बराबर हक होता है और इसमें पिता किसी को वंचित नहीं कर सकते। वहीं स्व-अर्जित संपत्ति वो होती है जो पिता ने खुद मेहनत से कमाई हो। उस पर उनका पूरा अधिकार होता है और वो जिसे चाहे उसे दे सकते हैं।
कब मिल सकता है बेटी को हक?
- अगर संपत्ति पैतृक है, तो बेटी को पूरा हक मिलेगा।
- अगर पिता की मृत्यु हो जाती है और कोई वसीयत नहीं है, तो बेटी को बेटे के बराबर हिस्सा मिलेगा।
- शादी के बाद भी बेटी को पिता की संपत्ति में बराबर का हक मिलता है।
- तलाकशुदा या विधवा बेटियों को भी हक मिलता है।
- अगर बेटी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके बच्चों को भी यह हक मिलता है।
कब नहीं मिलेगा हक?
- अगर पिता ने अपनी स्व-अर्जित संपत्ति किसी को भी अपनी मर्जी से दे दी हो।
- अगर बेटी ने कानूनी या सामाजिक तौर पर खुद पिता से संबंध तोड़ दिए हों।
- अगर पिता ने वसीयत बना दी हो और उसमें किसी और को संपत्ति दे दी हो।
सोशल मीडिया पर अफवाहें क्यों फैल रही हैं?
दरअसल, सोशल मीडिया पर खबरें अधूरी और सनसनीखेज ढंग से फैलाई जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हालिया फैसले में बेटियों के हक को खत्म नहीं किया है, बल्कि एक खास परिस्थिति में निर्णय लिया है। लेकिन जब बिना पूरी जानकारी के खबरें वायरल होती हैं, तो आम लोगों में भ्रम फैलता है। इसलिए जरूरी है कि हम किसी भी खबर को जांचे-परखे बिना उस पर विश्वास ना करें।
समाज में बदलाव की जरूरत
कानून भले बदल गए हों, लेकिन आज भी कई बेटियों को उनका हक नहीं मिलता। इसकी वजह है जागरूकता की कमी और पारंपरिक सोच। जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी, तब तक कानून का असर पूरी तरह नहीं हो पाएगा। बेटियों को उनका अधिकार तभी मिलेगा जब परिवार खुद आगे बढ़कर उन्हें उनका हिस्सा देंगे।
तो साफ है कि सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के संपत्ति अधिकारों में कोई कटौती नहीं की है। सिर्फ एक खास केस में, जहां बेटी ने खुद पिता से सारे रिश्ते तोड़ लिए थे, वहां उसे संपत्ति में हक नहीं मिला। सामान्य तौर पर बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार है और यह हक जन्म से ही लागू होता है।