EMI bounce Rules – घर का सपना पूरा करने के लिए ज़्यादातर लोग होम लोन लेते हैं। लेकिन कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं कि हर महीने की EMI भरना मुश्किल हो जाता है—चाहे वो नौकरी जाने की वजह से हो, बीमारी या कोई और फाइनेंशियल दिक्कत। अच्छी बात ये है कि बैंक सीधे-सीधे सख्त कार्रवाई नहीं करता, बल्कि आपको 4 बार मौका देता है। आइए जानते हैं इस पूरे प्रोसेस को आसान भाषा में।
पहली बार EMI बाउंस होने पर क्या होता है?
अगर आपने पहली बार EMI नहीं भरी है, तो बैंक घबराता नहीं—और आपको भी नहीं घबराना चाहिए। आमतौर पर बैंक आपको कॉल या SMS के जरिए याद दिलाता है। वो आपसे बात कर समझना चाहता है कि देरी क्यों हुई। ये एक तरह से वॉर्निंग नहीं, बल्कि अलर्ट है। अगर आपकी गलती से EMI छूट गई है, तो तुरंत भर दें—बात वहीं खत्म हो जाएगी।
दूसरी बार चूक पर बैंक क्या करता है?
अगर लगातार दूसरी बार भी EMI नहीं जाती, तो बैंक थोड़ा सीरियस हो जाता है। आपको औपचारिक रिमाइंडर भेजा जाएगा—फोन कॉल, ईमेल या डाक के ज़रिए। इस बार बैंक आपको ये भी बताएगा कि इससे आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है और भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है। आप चाहें तो बैंक से बात करके अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं।
तीसरी बार गड़बड़ पर आ सकता है कानूनी नोटिस
अगर आप तीन महीने तक EMI नहीं चुकाते, तो मामला और गंभीर हो जाता है। बैंक आपको लीगल नोटिस भेजता है जिसमें लिखा होता है कि आपने लोन की शर्तों का उल्लंघन किया है। इसमें बकाया EMI, जुर्माना और देय तारीख की जानकारी दी जाती है। इस समय तक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री भी बिगड़ चुकी होती है, जो आगे चलकर काफी महंगी साबित हो सकती है।
चौथी चूक और नीलामी की चेतावनी
अगर आपने पांच महीने तक भी EMI नहीं भरी, तो बैंक आपको एक नीलामी नोटिस भेज सकता है। इसमें साफ लिखा होता है कि अगर तय तारीख तक आप भुगतान नहीं करते, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू कर देगा। ये आपके लिए आखिरी मौका होता है लोन को बचाने का।
पांचवीं बार चूक और बैंक की अंतिम कार्रवाई
अगर नीलामी नोटिस के बाद भी आप भुगतान नहीं करते, तो बैंक कोर्ट के ज़रिए कानूनी प्रक्रिया शुरू करता है। आपके घर की नीलामी होती है और उस पैसे से बैंक अपना बकाया निकाल लेता है। अगर घर की कीमत कम निकलती है, तो जो बाकी रकम बचती है, उसका भुगतान भी आपको ही करना होता है। ये स्टेज आपकी क्रेडिट रिपोर्ट और फाइनेंशियल फ्यूचर के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है।
EMI भरने में दिक्कत है? ये तरीके अपनाएं
अगर वाकई आप EMI नहीं भर पा रहे हैं, तो सबसे पहले बैंक मैनेजर से बात करें। हो सकता है बैंक आपकी स्थिति समझे और टेम्पररी राहत दे। दूसरा उपाय है लोन रीस्ट्रक्चरिंग – यानी लोन की अवधि बढ़वाकर EMI कम कराना या फ्लोटिंग रेट से फिक्स्ड रेट में शिफ्ट करना।
एक और तरीका है—मकान किराए पर देना। किराए की आमदनी से EMI कवर हो सकती है। और अगर स्थिति काफी खराब है, तो खुद से घर बेच दें। इससे बैंक को नीलामी की जरूरत नहीं पड़ेगी और आपको बेहतर कीमत भी मिल सकती है।
Disclaimer:
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। लोन से जुड़ी शर्तें और नियम बैंक अनुसार बदल सकते हैं। कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले अपने बैंक या किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें। लेख में दी गई जानकारी पर आधारित किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी लेखक या प्रकाशक की नहीं होगी।