हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! इन चेक बाउंस मामलों में नहीं होगी कोई कार्रवाई Check Bounce Case

Check Bounce Case : डिजिटल पेमेंट के जमाने में भी चेक का इस्तेमाल काफी होता है। खासकर बिजनेस लेनदेन, किराया भरने और सरकारी पेमेंट्स के लिए चेक का चलन अभी भी बना हुआ है। लेकिन कई बार चेक बाउंस हो जाता है, जिससे कानूनी पचड़े में फंसने का खतरा बढ़ जाता है।

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी बैंक का किसी दूसरे बैंक में विलय हो गया है और विलय के बाद पुराने चेक बाउंस हो जाते हैं, तो ऐसे मामलों में धारा 138 के तहत केस नहीं चलेगा।

चेक बाउंस क्या होता है

जब किसी बैंक द्वारा किसी चेक का भुगतान अस्वीकार कर दिया जाता है, तो उसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:

Also Read:
100 Rupee Note Update 100 रुपये के नोट को लेकर आई बड़ी अपडेट, RBI ने दिए नए निर्देश – 100 Rupee Note Update
  • खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना
  • चेक पर साइन मेल न खाना
  • चेक की वैधता खत्म हो जाना
  • चेक पर ओवरराइटिंग या काट-छांट होना
  • बैंक विलय के बाद चेक का अमान्य हो जाना

अगर चेक बाउंस होता है, तो आमतौर पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NI Act) की धारा 138 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

चेक बाउंस होने पर बैंक क्या करता है

जब किसी का चेक बाउंस होता है, तो बैंक कुछ जरूरी स्टेप्स फॉलो करता है:

  1. नोटिस भेजता है: बैंक संबंधित व्यक्ति को चेक बाउंस का कारण बताते हुए नोटिस भेजता है और उसे समाधान के लिए समय देता है
  2. रिप्लाई का इंतजार: अगर व्यक्ति समय पर राशि चुका देता है, तो मामला खत्म हो जाता है। लेकिन अगर वह कुछ नहीं करता, तो अगला कदम उठाया जाता है
  3. कानूनी कार्रवाई: अगर तय समय तक राशि का भुगतान नहीं किया जाता, तो धारा 138 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है। इसमें दोषी पाए जाने पर जुर्माना या जेल भी हो सकती है

इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला

हाईकोर्ट ने हाल ही में एक केस में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई बैंक किसी अन्य बैंक में मर्ज हो चुका है और उसके पुराने चेक अमान्य हो गए हैं, तो ऐसे चेक बाउंस होने पर धारा 138 के तहत केस दर्ज नहीं किया जा सकता।

Also Read:
EPFO 3.0 Launch बड़ी खबर! अब एटीएम और UPI से निकाल सकेंगे PF – जल्द आ रहा है EPFO 3.0 | EPFO 3.0 Launch

मामला क्या था

यह केस बांदा जिले की अर्चना सिंह गौतम से जुड़ा था। उन्होंने एक ऐसा चेक जारी किया था, जो उनके बैंक के विलय से पहले जारी हुआ था। बैंक ने इस चेक को अमान्य मानते हुए वापस कर दिया। इसके बाद उनके खिलाफ NI Act की धारा 138 के तहत केस कर दिया गया।

अर्चना सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां कोर्ट ने चेक बाउंस के इस मामले को अमान्य करार देते हुए राहत दी।

कोर्ट ने फैसले में क्या कहा

बैंक विलय के बाद पुराने चेक की वैधता

  • जब दो बैंक मर्ज होते हैं, तो विलय से पहले जारी चेक एक निश्चित समय तक ही मान्य होते हैं।
  • उसके बाद पुराने बैंक के चेक अमान्य हो जाते हैं।

अमान्य चेक पर धारा 138 लागू नहीं

  • कोर्ट ने साफ किया कि धारा 138 उन्हीं चेक पर लागू होती है, जो वैध होते हैं।
  • अगर बैंक मर्ज हो चुका है और चेक की वैधता खत्म हो चुकी है, तो उस पर केस नहीं बनता।

गलती से इस्तेमाल होने पर राहत

  • कई बार लोग अनजाने में पुराने चेक का इस्तेमाल कर लेते हैं।
  • ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

इलाहाबाद बैंक और इंडियन बैंक का विलय

  • इलाहाबाद बैंक 1 अप्रैल 2020 को इंडियन बैंक में मर्ज हो गया था
  • पुराने चेक 30 सितंबर 2021 तक वैध थे
  • इसके बाद, इलाहाबाद बैंक के पुराने चेक अमान्य हो गए
  • अगर कोई ग्राहक 1 अक्टूबर 2021 के बाद इलाहाबाद बैंक का पुराना चेक इस्तेमाल करता है, तो चेक बाउंस का अपराध नहीं माना जाएगा

इस फैसले का क्या असर होगा

  • ग्राहकों को राहत: अगर कोई व्यक्ति गलती से पुराने चेक का इस्तेमाल करता है, तो अब उस पर केस नहीं चलेगा।
  • बैंकों की जिम्मेदारी बढ़ेगी: अब बैंकों को अपने ग्राहकों को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि पुराने चेक कब तक मान्य रहेंगे।
  • जागरूकता बढ़ेगी: ग्राहकों को बैंकिंग नियमों की पूरी जानकारी रखनी होगी, खासकर बैंक विलय के मामलों में।

ग्राहकों के लिए क्या सावधानियां जरूरी हैं

  1. नई चेकबुक जल्द से जल्द लें: बैंक विलय के बाद तुरंत नई चेकबुक अपडेट करवाएं
  2. बैंक के नियमों की जानकारी रखें: बैंक से जुड़े सभी अपडेट्स पर नजर रखें, खासकर अगर बैंक मर्ज हो चुका है
  3. चेक की वैधता जांचें: किसी को चेक देने से पहले उसकी डेट और वैधता चेक कर लें
  4. डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दें: जहां तक हो सके, UPI, NEFT, RTGS जैसे डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करें

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला उन ग्राहकों के लिए बहुत राहत भरा है, जो अनजाने में पुराने और अमान्य चेक का उपयोग कर लेते हैं। अब वे NI Act की धारा 138 के तहत कानूनी कार्रवाई से बच सकेंगे।

Also Read:
OPS Scheme Good News आ गई बड़ी खुशखबरी, पुरानी पेंशन योजना हुई बहाल OPS Scheme Good News

साथ ही, इस फैसले के बाद बैंकों को ग्राहकों को समय पर सही जानकारी देने की जिम्मेदारी निभानी होगी। इसलिए, अगर आपका बैंक मर्ज हुआ है, तो जल्द से जल्द अपनी चेकबुक अपडेट करवा लें और डिजिटल पेमेंट को ज्यादा प्राथमिकता दें।

Leave a Comment