Free Ration Distribution – 1 मई से प्रदेश में राशन वितरण पर बड़ा असर पड़ने वाला है, क्योंकि डिपो संचालकों ने एक बड़ा फैसला लिया है। पिछले कुछ समय से डिपो संचालक सरकार और खाद्य आपूर्ति विभाग से यह मांग कर रहे थे कि पीओएस (POS) मशीनों के संचालन के लिए इंटरनेट की सुविधा विभाग द्वारा मुहैया कराई जाए। हालांकि, विभाग और सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिसके बाद डिपो संचालकों ने निर्णय लिया है कि 1 मई से वे अपनी निजी इंटरनेट सेवा का उपयोग कर पीओएस मशीनें नहीं चलाएंगे, और राशन वितरण का काम भी रोक देंगे।
विभाग की अनदेखी और डिपो संचालकों की नाराजगी
डिपो संचालकों का कहना है कि सालों से वे अपनी जेब से इंटरनेट का खर्च उठाते आए हैं। यह तब हुआ जब विभाग ने पीओएस मशीनें लगाई थीं, लेकिन इन मशीनों में न तो सिम कार्ड डाले गए और न ही इंटरनेट कनेक्टिविटी का स्थायी समाधान दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, डिपो संचालकों को अपना इंटरनेट डेटा खर्च करना पड़ा। अब तक विभाग ने न तो इन मशीनों की मरम्मत की है और न ही स्थायी समाधान निकाला है।
प्रदेश डिपो संचालक समिति के अध्यक्ष अशोक कवि ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया था। समिति ने सरकार और विभाग को समय रहते अल्टीमेटम दिया था कि 30 अप्रैल तक पीओएस मशीनों के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी विभाग को प्रदान करनी चाहिए। इसके बावजूद सरकार और विभाग ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया। इस पर डिपो संचालकों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि 1 मई से राशन वितरण का काम रोका जाएगा।
अदालत का रुख अपनाने की चेतावनी
अशोक कवि ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार की ओर से कोई दंडात्मक कार्रवाई की जाती है या डिपो संचालकों पर दबाव डाला जाता है, तो समिति माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से नहीं हिचकेगी। उन्होंने सभी डिपो संचालकों से अपील की है कि वे समिति के इस निर्णय का पालन करें और अपने हक के लिए एकजुट होकर खड़े रहें।
कांग्रेस सरकार से नाराजगी
प्रदेश डिपो संचालक समिति ने कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। अशोक कवि का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने घोषणा पत्र में वादा किया था कि डिपो संचालकों को ₹20,000 मासिक वेतन दिया जाएगा और वन टाइम लाइसेंस की सुविधा दी जाएगी। लेकिन अब तक सरकार ने कोई वादा पूरा नहीं किया है, जिससे डिपो संचालकों में गहरी नाराजगी है।
आंदोलन का रास्ता
डिपो संचालकों का कहना है कि वे वर्षों से अपनी मेहनत और संसाधनों से विभाग का काम चला रहे हैं। लेकिन अब जब उनकी समस्याओं की सुनवाई नहीं हो रही है, तो आंदोलन करना उनकी मजबूरी बन गई है। डिपो संचालकों ने साफ कर दिया है कि वे अपने हक की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ेंगे और इस बार पीछे नहीं हटेंगे।
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राशन वितरण पर पड़ने वाला असर
यदि डिपो संचालकों का यह फैसला लागू होता है और पीओएस मशीनें बंद रहती हैं, तो इसका सीधा असर राशन वितरण पर पड़ेगा। राशन कार्ड धारकों को समय पर राशन मिलना मुश्किल हो सकता है, जिससे खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के लोग प्रभावित होंगे। विभाग और सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए जल्द से जल्द कोई समाधान निकालना होगा, ताकि राशन वितरण में कोई रुकावट न आए।
डिपो संचालकों का एकजुटता का संदेश
प्रदेश डिपो संचालक समिति ने सभी डिपो संचालकों से एकजुट होकर इस निर्णय का पालन करने की अपील की है। समिति का मानना है कि यदि सभी डिपो संचालक एकमत होकर इस निर्णय का पालन करेंगे तो सरकार को मजबूर होना पड़ेगा और उनकी मांगों पर विचार करना होगा।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि डिपो संचालकों की नाराजगी अब एक आंदोलन का रूप ले सकती है। वे चाहते हैं कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से ले और उन्हें उचित समाधान प्रदान करे। अगर सरकार और विभाग इस मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई नहीं करते, तो 1 मई से राशन वितरण पर गंभीर असर पड़ सकता है, जिससे प्रदेश के लाखों लोगों को समय पर राशन नहीं मिल पाएगा।
डिपो संचालकों की यह लड़ाई केवल उनकी व्यक्तिगत समस्याओं की नहीं है, बल्कि यह राशन वितरण प्रणाली के सुधार की भी एक आवश्यकता बन गई है। अब यह देखना होगा कि सरकार और विभाग इस मुद्दे पर कब और कैसे समाधान निकालते हैं, ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके।