Land Registration Rule – छत्तीसगढ़ सरकार ने भूमि, मकान और दुकानों की रजिस्ट्री प्रक्रिया में ऐतिहासिक सुधार किया है। अब, रजिस्ट्री के बाद नामांतरण खुद-ब-खुद हो जाएगा, जिससे खरीदारों को तहसील या अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। यह नया नियम राज्यभर में लागू हो चुका है और इससे करोड़ों लोगों को बड़ी राहत मिलने वाली है। इस सुधार के साथ, छत्तीसगढ़ सरकार ने भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल और भ्रष्टाचारमुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
राजस्व सुधार की दिशा में सरकार का अहम कदम
छत्तीसगढ़ की सत्तारूढ़ सरकार लगातार राजस्व सुधारों की दिशा में कदम उठा रही है। भूमि खरीद-फरोख्त के दौरान सबसे बड़ी समस्या नामांतरण की थी, जो बहुत ही जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया थी। तहसील दफ्तरों में बिना पैसे दिए नामांतरण कराना लगभग असंभव माना जाता था, और इन प्रक्रियाओं में भ्रष्टाचार भी आम था। अब इस समस्या का समाधान करते हुए सरकार ने रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण का काम भी तय कर दिया है। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि आम नागरिकों को आर्थिक रूप से भी लाभ होगा।
यह नियम हर प्रकार की संपत्ति पर लागू होगा
यह नया नियम सिर्फ कुछ विशेष प्रकार की संपत्तियों जैसे जमीन या मकान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी प्रकार की संपत्तियों—जैसे दुकान, फ्लैट, प्लॉट, इत्यादि—पर लागू होगा। इसका मतलब यह है कि अब रजिस्ट्री के दौरान ही नामांतरण का काम भी पूरा हो जाएगा। इससे संपत्ति की खरीद-बिक्री प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी और नागरिकों को किसी भी तरह की फर्जीवाड़े या धोखाधड़ी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सब रजिस्ट्रार को अब नामांतरण का अधिकार मिल गया है, जिससे यह प्रक्रिया और भी आसान और तेज हो जाएगी।
भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश
नामांतरण के नाम पर प्रदेश में कई वर्षों से अवैध कारोबार चल रहा था। इस प्रक्रिया में तहसील दफ्तरों में रिश्वत की मांग करना आम बात थी। अक्सर संपत्ति के विवादों के कारण बिना रिश्वत दिए काम कराना असंभव हो जाता था। कई बार तो कुछ हजार से लेकर लाखों रुपये तक वसूले जाते थे। इस नए सिस्टम से अब भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, क्योंकि अब नामांतरण की प्रक्रिया सरकारी स्तर पर, बिना किसी मध्यस्थ के, सही तरीके से की जाएगी।
रायपुर का मामला और नए सिस्टम की महत्वता
रायपुर में एक उदाहरण सामने आया था, जहां नामांतरण में देरी के कारण पुराने मालिक ने एक ही जमीन को दो बार बेच दिया था। इससे खरीदार को भारी नुकसान हुआ था। ऐसे मामलों को अब रोका जा सकेगा, क्योंकि रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण भी तुरंत हो जाएगा। इससे संपत्ति के मालिकाना हक का स्पष्ट और सुरक्षित दर्ज हो जाएगा, जिससे खरीदारों को सुरक्षा मिलेगी और फर्जीवाड़े के मामलों में कमी आएगी।
तहसीलदारों की नाराजगी
हालांकि आम जनता इस फैसले का स्वागत कर रही है, लेकिन तहसीलदार वर्ग में नाराजगी है। तहसीलदारों का कहना है कि अब तक संपत्ति से जुड़े विवाद जैसे सीमांकन, बटांकन और स्वामित्व विवाद का निपटारा तहसील स्तर पर किया जाता था। अब यदि सब रजिस्ट्रार को नामांतरण का अधिकार दे दिया जाएगा, तो इन विवादों का समाधान कौन करेगा? इसके लिए सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने की आवश्यकता है, ताकि विवादों का निपटारा सही तरीके से हो सके।
भविष्य में और सुधार की उम्मीद
सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस सिस्टम को और अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाने के लिए भविष्य में दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। खासतौर पर विवादित संपत्तियों के मामलों के लिए अलग से व्यवस्था की जा सकती है। इसके अलावा, रजिस्ट्री और नामांतरण की पूरी प्रक्रिया का डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से निगरानी रखी जाएगी, जिससे हर कदम पर पारदर्शिता बनी रहेगी और लोगों को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
नए सिस्टम से नागरिकों को क्या फायदा होगा?
यह नया सुधार छत्तीसगढ़ के नागरिकों के लिए कई तरह से फायदेमंद होगा:
- सरकारी प्रक्रिया पर विश्वास बढ़ेगा: नागरिकों को सरकारी तंत्र पर भरोसा होगा, क्योंकि सारी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से होगी।
- समय और धन की बचत: अब रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण भी हो जाएगा, जिससे लोगों को किसी भी सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
- रिश्वतखोरी पर काबू: नामांतरण की प्रक्रिया सरकारी स्तर पर होने से रिश्वतखोरी की समस्या कम होगी।
- फर्जीवाड़े में कमी: नामांतरण के तुरंत बाद संपत्ति का मालिकाना हक साफ और सुरक्षित हो जाएगा, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाएगी।
- पारदर्शिता में वृद्धि: सारी प्रक्रिया डिजिटल रूप से ट्रैक की जाएगी, जिससे भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होगी।
यह सुधार छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया को आसान बनाएगा, बल्कि राज्यभर में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की घटनाओं को भी रोकेगा। नागरिकों को इस सुधार से बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि अब उन्हें संपत्ति की रजिस्ट्री के बाद तहसील दफ्तरों में दौड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह कदम समय की बचत करेगा, धन की बचत करेगा और सरकारी प्रक्रियाओं को और अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाएगा।