Minimum Balance Rules – अगर आपके पास बैंक खाता है, तो “मिनिमम बैलेंस” वाला नियम तो आपने ज़रूर सुना होगा। मतलब ये कि आपको अपने खाते में हर महीने एक तय रकम बनाए रखनी होती है। लेकिन अब RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने इससे जुड़े कुछ नए नियम बनाए हैं, जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है। अगर ध्यान नहीं दिया, तो ना सिर्फ जुर्माना भरना पड़ेगा, बल्कि आपका खाता भी बंद हो सकता है या उसमें जीरो बैलेंस से भी कम दिख सकता है। तो आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि क्या बदला है, क्या ध्यान रखना है और कैसे आप परेशानियों से बच सकते हैं।
क्या होता है मिनिमम बैलेंस?
बैंक अपने हर खाते के लिए एक न्यूनतम राशि तय करता है, जिसे मिनिमम बैलेंस कहा जाता है। इसे हर महीने मेंटेन करना जरूरी होता है। अगर आपका खाता बचत खाता (सेविंग्स अकाउंट) है, तो बैंक कह सकता है कि कम से कम 3000 या 5000 रुपये खाते में हर समय रहें। यह राशि बैंक और खाता टाइप के हिसाब से अलग हो सकती है।
RBI के नए नियम क्या हैं?
RBI ने साफ कहा है कि अगर किसी ग्राहक का मिनिमम बैलेंस कम हो गया है, तो बैंक उसे पहले सूचित करेगा। यानी सीधा जुर्माना नहीं लगेगा। पहले ग्राहक को SMS, ईमेल या फोन कॉल से जानकारी दी जाएगी कि आपका बैलेंस कम है। अगर सूचना के बावजूद ग्राहक ने बैलेंस नहीं बढ़ाया, तभी बैंक चार्ज ले सकता है।
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एक और ज़रूरी बात – बैंक बिना बताए अगर जुर्माना लगा देता है, तो यह गलत है और उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
शहर और गांव के लिए अलग-अलग नियम
अब यहां एक दिलचस्प बात है। RBI ने माना है कि सभी इलाकों की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं होती। इसलिए शहरी इलाकों में मिनिमम बैलेंस की रकम ज़्यादा होती है, वहीं ग्रामीण इलाकों के लिए यह कम रखी जाती है। जैसे अगर शहर में किसी बैंक ने 5000 रुपये न्यूनतम रखे हैं, तो गांव में वही बैंक सिर्फ 1000 या 1500 रुपये ही कह सकता है। और अगर चार्ज लगेगा भी, तो शहर वालों को ज़्यादा देना पड़ेगा, गांव वालों को कम।
क्या खाता माइनस में जा सकता है?
कई लोगों को लगता है कि अगर बैंक बार-बार चार्ज काटता रहेगा, तो एक दिन खाता माइनस में चला जाएगा। यानी बैलेंस निगेटिव हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं है। RBI ने साफ कहा है कि ग्राहक के खाते से इतना चार्ज नहीं काटा जा सकता कि खाता माइनस में चला जाए। हां, जीरो तक बैलेंस जा सकता है, लेकिन उससे नीचे नहीं। और अगर ऐसा हुआ है, तो आप बैंक में शिकायत कर सकते हैं।
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बैंकों ने बनाया है स्लैब सिस्टम
अब यह जानना भी जरूरी है कि बैंक चार्ज कैसे लगाते हैं। सभी बैंक मिनिमम बैलेंस की कमी को लेकर स्लैब सिस्टम अपनाते हैं। यानी अगर आपके खाते में थोड़ा ही कम बैलेंस है, तो चार्ज कम लगेगा। अगर बहुत कम है, तो चार्ज ज्यादा लगेगा। उदाहरण के लिए – अगर 5000 रुपये होना चाहिए और आपके पास 4000 हैं, तो 50 रुपये जुर्माना लग सकता है। लेकिन अगर खाते में सिर्फ 500 रुपये हैं, तो 200 रुपये तक का चार्ज लग सकता है।
ग्राहकों को क्या सावधानी रखनी चाहिए?
- सबसे पहले, अपने बैंक के मिनिमम बैलेंस की जानकारी ज़रूर लें।
- मोबाइल बैंकिंग या इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करें ताकि बैलेंस पर नज़र बनी रहे।
- अगर आपको पता है कि आप लंबे समय तक खाता इस्तेमाल नहीं करने वाले, तो अपने बैंक से बेसिक सेविंग्स अकाउंट या जीरो बैलेंस खाता खुलवाने के बारे में पूछें।
- बैंक से आने वाले SMS और ईमेल को अनदेखा ना करें। कई बार वहीं से ज़रूरी जानकारी मिलती है।
अगर बैंक गलत चार्ज लगा दे?
ऐसा कई बार होता है कि बैंक गलती से ज़्यादा चार्ज लगा देता है या बिना बताए पैसे काट लेता है। ऐसे में सबसे पहले अपने बैंक की ब्रांच में संपर्क करें और बात करें। अगर वहां समाधान नहीं मिलता, तो आप RBI के शिकायत पोर्टल पर जाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। RBI ने ग्राहकों को ये सुविधा दी है कि वो बैंक से जुड़ी शिकायतों का निपटारा आसानी से कर सकें।
नया नियम क्यों जरूरी है?
RBI के ये नए नियम इसीलिए लाए गए हैं ताकि बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहे और ग्राहकों को बिना वजह परेशान ना किया जाए। कई बार बैंक अपने मन से जुर्माना लगा देते थे, लेकिन अब ये आसान नहीं है। ग्राहक को पहले सूचना देना अनिवार्य हो गया है।
आखिर में यही कहा जा सकता है कि अगर आप थोड़ा सा ध्यान रखें, तो मिनिमम बैलेंस जैसी चीज़ कभी भी परेशानी नहीं बनेगी। खाते की जानकारी पर नज़र रखें, बैंक के नियम पढ़ें और जरूरत पड़े तो जीरो बैलेंस खाता खुलवाने का विकल्प भी तलाशें। स्मार्ट ग्राहक वही होता है जो अपने पैसों और नियमों दोनों को बराबर समझता है।