Multiple Bank Account – आजकल हर किसी के पास एक से ज्यादा बैंक अकाउंट होना आम बात हो गई है। कुछ लोग सैलरी के लिए एक खाता रखते हैं, कुछ सेविंग के लिए, तो कुछ ऑनलाइन ट्रांजेक्शन या किसी खास ऑफर के चलते दूसरा खाता खुलवा लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जितना फायदा आपको लगता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है अगर आपके पास कई बैंक अकाउंट हैं।
आइए जानते हैं कि एक से ज्यादा बैंक अकाउंट रखने पर क्या-क्या झंझट झेलने पड़ सकते हैं और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
न्यूनतम बैलेंस की झंझट
हर बैंक का एक नियम होता है कि खाते में एक तय राशि हमेशा रखनी होगी। इसे मिनिमम बैलेंस कहा जाता है। अब सोचिए अगर आपके पास तीन या चार बैंक खाते हैं और हर खाते में आपको पांच हजार रुपए रखना जरूरी है, तो आपके बीस हजार रुपये तो यूं ही बैंक में पड़े रहेंगे। न आप उन्हें खर्च कर सकते हैं, न ही किसी और काम में लगा सकते हैं। ये पैसा कहीं और निवेश होता तो शायद बेहतर फायदा देता।
कम ब्याज का नुकसान
बचत खाते पर बैंक ज्यादा ब्याज नहीं देते, आमतौर पर 3 से 4 प्रतिशत सालाना। ऐसे में अगर आपके पैसे कई अकाउंट में बंटे हुए हैं, तो आप उन्हें अच्छे निवेश विकल्पों में नहीं लगा पा रहे। म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट या पब्लिक प्रोविडेंट फंड जैसे ऑप्शन में पैसे डालकर आप ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं। बेवजह बैंक अकाउंट में पैसे रखकर आप सिर्फ मौके गंवा रहे हैं।
सर्विस चार्ज का भार
ज्यादा अकाउंट मतलब ज्यादा डेबिट कार्ड, पासबुक, नेट बैंकिंग, और इनसे जुड़े चार्जेस। हर बैंक कुछ न कुछ सर्विस फीस लेता है, जैसे डेबिट कार्ड चार्ज, अकाउंट मेंटेनेंस फीस और कभी-कभी ट्रांजेक्शन पर भी शुल्क। अगर आप इन खातों का ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तो ये सब फीस आपके लिए बेवजह का खर्च बन जाती है।
क्रेडिट स्कोर पर असर
शायद ये बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि आपके इनएक्टिव बैंक अकाउंट्स का असर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ सकता है। अगर किसी अकाउंट में लगातार मिनिमम बैलेंस नहीं रखा गया या खाते को लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं किया गया, तो बैंक इसे निगेटिव तौर पर रिपोर्ट कर सकता है। इससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
इनकम टैक्स फाइलिंग में झंझट
एक से ज्यादा बैंक अकाउंट का मतलब है ज्यादा स्टेटमेंट, ज्यादा ब्यौरा और ज्यादा मेहनत। जब आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, तो हर खाते का ब्योरा देना होता है। अगर आप गलती से किसी खाते को छिपा लें या जानकारी देना भूल जाएं, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर आप पर आ सकती है। ऐसे में फाइन या नोटिस आ सकता है।
सैलरी अकाउंट का सेविंग अकाउंट में बदलना
अक्सर लोग जॉब बदलते समय पुराने सैलरी अकाउंट को वैसे ही छोड़ देते हैं। लेकिन अगर उसमें तीन महीने तक सैलरी नहीं आती, तो बैंक उसे ऑटोमैटिक सेविंग अकाउंट में बदल देता है। फिर उस पर मिनिमम बैलेंस का नियम लागू हो जाता है। अगर आप अनजान हैं तो पेनल्टी लग सकती है। इसलिए ऐसे खातों पर नजर रखना जरूरी है।
सुरक्षा का खतरा बढ़ जाता है
ज्यादा अकाउंट मतलब ज्यादा डेबिट कार्ड, ज्यादा पिन नंबर, ज्यादा पासवर्ड। अब इन्हें याद रखना भी टेंशन और अगर इनमें से कोई भी गलती से लीक हो गया, तो फ्रॉड का खतरा बढ़ जाता है। बेहतर है कि आपके पास एक या दो खाते हों जिन्हें आप अच्छे से मैनेज कर सकें और अपनी सिक्योरिटी पर पूरा ध्यान दे सकें।
टाइम और एनर्जी की बर्बादी
हर अकाउंट की पासबुक अपडेट करना, स्टेटमेंट चेक करना, अकाउंट का केवाईसी अपडेट कराना, और बहुत कुछ ऐसा होता है जो समय मांगता है। अगर आपके पास कई खाते हैं, तो आप अपनी एनर्जी इन कामों में ही खर्च कर बैठेंगे, जो कि जरूरी नहीं है।
हर किसी की फाइनेंशियल जरूरत अलग होती है, लेकिन ये जरूरी नहीं कि ज्यादा अकाउंट होने से फायदे ही होंगे। अगर आपके पास एक या दो अकाउंट हैं और आप उन्हें अच्छे से इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यही बेहतर है। अनावश्यक बैंक खाते बंद करें, सिर्फ उन्हीं को रखें जो वाकई आपके काम आते हैं।
तो अगली बार जब आप नया बैंक खाता खोलने की सोचें, तो पहले ये जरूर सोचें कि क्या वाकई इसकी जरूरत है या बस यूं ही खोल रहे हैं। फाइनेंशियल प्लानिंग का पहला नियम है – सादगी और समझदारी से चलना। क्या आप भी अपने अनावश्यक बैंक अकाउंट बंद करने का सोच रहे हैं?