Petrol-Diesel Price – पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से हर आम आदमी परेशान है। महीने की शुरुआत हो या आखिर, तेल के रेट में जरा सी भी बढ़ोतरी सीधे जेब पर असर डालती है। लेकिन अब जो खबर सामने आई है, वो राहत देने वाली है। दरअसल, कच्चे तेल की कीमतों में बीते कुछ महीनों में अच्छी-खासी गिरावट दर्ज की गई है। यही वजह है कि देश की बड़ी तेल कंपनियां जल्द ही पेट्रोल और डीजल के दाम कम कर सकती हैं।
चार महीने में 20 फीसदी की गिरावट
अगर आप भी सोच रहे हैं कि पेट्रोल-डीजल के रेट कब घटेंगे, तो आपके लिए अच्छी खबर है। बीते चार महीने में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के रेट करीब 20 फीसदी तक गिर चुके हैं। यानी अगर पहले तेल 70 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास बिक रहा था, तो अब वो 55 से 59 डॉलर के बीच पहुंच चुका है।
अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत में 2.49 डॉलर यानी करीब 4.27 फीसदी की गिरावट हुई है और अब यह 55.80 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। वहीं ब्रेंट क्रूड में भी 2.39 डॉलर की गिरावट हुई है और इसका नया रेट 58.90 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। इन आंकड़ों से साफ है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता हुआ है और अब बारी है कि इसका फायदा आम जनता को भी मिले।
2 से 3 रुपये तक सस्ता हो सकता है तेल
तेल कंपनियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 से 3 रुपये प्रति लीटर की कटौती की जा सकती है। हालांकि इस पर आखिरी फैसला कंपनियों को ही लेना है लेकिन जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिरी हैं, उससे उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही पेट्रोल पंपों पर नई कीमतें दिख सकती हैं।
सऊदी अरब का बड़ा फैसला
इस बीच सऊदी अरब ने भी कच्चे तेल को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जून महीने से सऊदी अरब कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाकर करीब चार लाख ग्यारह हजार बैरल प्रतिदिन करने जा रहा है। ओपेक प्लस देशों ने मई में तेल उत्पादन बढ़ाने की बात कही थी और अब सऊदी अरब ने भी इसे लागू करने की तैयारी कर ली है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों पर दबाव बना रहेगा।
भारत में बढ़ी डीजल की मांग
एक तरफ जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल सस्ता हो रहा है, वहीं भारत में डीजल की मांग में भी इजाफा देखने को मिला है। अप्रैल महीने में डीजल की खपत में करीब चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। गर्मियों की शुरुआत के साथ ट्रांसपोर्ट और खेती के काम बढ़े हैं, जिससे डीजल की डिमांड भी बढ़ी है।
पेट्रोलियम मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में डीजल की कुल खपत करीब 82.3 लाख टन रही है, जो पिछले साल के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा है। साल 2019 यानी कोविड से पहले के वक्त की तुलना में यह खपत अब करीब 10 फीसदी ज्यादा हो चुकी है।
सस्ता तेल क्यों है जरूरी?
आज के समय में जब हर चीज के दाम बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में तेल सस्ता होना बहुत जरूरी है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ती हैं तो हर सेक्टर पर असर पड़ता है। ट्रांसपोर्ट से लेकर सब्जी, दूध, दवाइयां और बाकी जरूरी चीजों के दाम भी बढ़ जाते हैं। लेकिन अगर तेल सस्ता होता है तो उसका फायदा सीधा आम जनता को मिलता है।
इसके अलावा, कम तेल की कीमतों से महंगाई पर भी कंट्रोल रहता है। सरकार का भी दबाव कम होता है और इकॉनॉमी में पॉजिटिव सिग्नल जाता है।
कब तक होगा एलान?
फिलहाल तेल कंपनियों की तरफ से कोई आधिकारिक एलान नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों की मानें तो जल्दी ही रेट कटौती की घोषणा हो सकती है। ये भी देखा जा रहा है कि आने वाले हफ्तों में कच्चे तेल के दाम किस दिशा में जाते हैं। अगर गिरावट का ट्रेंड बना रहा तो तेल कंपनियों पर प्राइस कट का दबाव और बढ़ेगा।
तेल के दाम कम होने की उम्मीद बंधी है। कच्चे तेल में गिरावट के चलते पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती होना लगभग तय माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार और तेल कंपनियां इस राहत को आम जनता तक कितनी जल्दी पहुंचाती हैं। जो भी हो, अगर 2 से 3 रुपये की कटौती होती है तो गर्मी में यह राहत किसी ठंडी हवा से कम नहीं होगी।