Ration Card e-KYC – अगर आप झारखंड के गढ़वा जिले के रहने वाले हैं और अब तक अपने राशन कार्ड का ई-केवाईसी नहीं करवाया है, तो थोड़ी सतर्कता ज़रूरी है। जिले के बरडीहा प्रखंड में एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिसमें पंचायत के मुखिया और राशन डीलर दोनों पर जिम्मेदारी तय कर दी गई है। अब अगर कोई लाभुक ई-केवाईसी से छूट जाता है, तो इसकी जवाबदेही केवल डीलर की नहीं बल्कि पंचायत के मुखिया की भी मानी जाएगी।
बीडीओ ने दिए 12 घंटे का अल्टीमेटम
बरडीहा के प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी राकेश सहाय ने सभी पंचायतों के मुखियाओं को निर्देश जारी किया है कि 12 घंटे के अंदर अपनी-अपनी पंचायत के डीलरों के साथ बैठक करें। बैठक में ई-केवाईसी की प्रगति की समीक्षा की जानी है और यह सुनिश्चित करना है कि तय समयसीमा के अंदर सभी लाभुकों का ई-केवाईसी पूरा हो जाए।
अब तक 11 हजार लाभुक पीछे रह गए
बीडीओ की मानें तो अभी तक करीब 11 हजार लाभुक ऐसे हैं जिनका ई-केवाईसी अब तक नहीं हुआ है। यह कोई मामूली बात नहीं है, क्योंकि इससे सीधे राशन वितरण में बाधा आ सकती है। इतना बड़ा आंकड़ा यह दिखाता है कि ग्राउंड लेवल पर काम में लापरवाही बरती जा रही है।
30 अप्रैल है आखिरी तारीख
ई-केवाईसी कराने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2025 तय की गई है। इसका मतलब ये है कि अब ज्यादा समय नहीं बचा है और काम को लेकर तेजी दिखानी होगी। बीडीओ का साफ कहना है कि अगर इस तारीख तक सारे लाभुकों का ई-केवाईसी नहीं हो पाया, तो न सिर्फ राशन डीलरों के खिलाफ बल्कि पंचायत के मुखियाओं और सचिवों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
सिर्फ चेतावनी नहीं, कार्रवाई भी होगी
बीडीओ ने ये भी बताया कि पहले भी कई बार इस बारे में जानकारी दी गई है – चाहे वो अखबार के ज़रिए हो या फिर लिखित निर्देश के तौर पर। यानी अब अगर कोई कहे कि उसे जानकारी नहीं थी, तो वो बहाना नहीं चलेगा। ई-केवाईसी एक जरूरी प्रक्रिया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि राशन का लाभ सही व्यक्ति को मिल रहा है।
क्यों जरूरी है ई-केवाईसी?
अब ये सवाल उठ सकता है कि आखिर ई-केवाईसी की इतनी ज़रूरत क्यों है। दरअसल, सरकार अब चाहती है कि राशन कार्ड से जुड़े सभी लाभुकों का डिजिटल रिकॉर्ड हो। इससे फर्जीवाड़ा रोका जा सकेगा और जो वाकई जरूरतमंद हैं, उन्हें ही योजना का लाभ मिलेगा। ई-केवाईसी से सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता आती है और किसी एक व्यक्ति के नाम पर दो राशन कार्ड जैसी गड़बड़ियों से बचा जा सकता है।
मुखिया और डीलरों की जिम्मेदारी तय
अब तक ऐसा होता था कि अगर किसी का ई-केवाईसी नहीं होता, तो डीलर को दोषी माना जाता था। लेकिन अब प्रशासन ने मुखिया को भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बना दिया है। यानी अगर आपकी पंचायत में कोई लाभुक छूटता है, तो मुखिया को भी जवाब देना होगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि पंचायत स्तर पर निगरानी मजबूत हो और कोई काम अधूरा न रहे।
लोगों को जागरूक करना भी जरूरी
प्रशासन की ओर से निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इस काम को पूरी तरह सफल बनाने के लिए जनता की भागीदारी भी जरूरी है। जिन लोगों ने अभी तक ई-केवाईसी नहीं करवाया है, उन्हें आगे आकर ये प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। पंचायत स्तर पर माइकिंग, पोस्टर और बैठकों के जरिए लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जा सकता है।
आखिरी वक्त तक इंतज़ार न करें
कई बार लोग सोचते हैं कि अभी टाइम है, बाद में करा लेंगे। लेकिन आखिरी समय में भीड़ बढ़ जाती है और टेक्निकल दिक्कतें भी आती हैं। इसलिए जो भी राशन कार्डधारी अभी तक ई-केवाईसी से पीछे हैं, वो जल्द से जल्द अपने नजदीकी केंद्र जाकर यह प्रक्रिया पूरी करवा लें।
सरकार और प्रशासन अब ई-केवाईसी को लेकर पूरी तरह सख्त हो चुका है। इस बार लापरवाही पर कोई रियायत नहीं मिलने वाली है। अगर समय रहते सबने मिलकर काम नहीं किया, तो डीलर के साथ-साथ मुखिया भी सवालों के घेरे में आएंगे। इसलिए समय रहते काम निपटा लें, नहीं तो बाद में परेशानी उठानी पड़ सकती है।