Traffic Challan – अगर आप भी गाड़ी चलाते हैं तो अब एक नया नियम आपके लिए बहुत जरूरी हो गया है। क्योंकि अब सिर्फ हेलमेट और सीट बेल्ट ही नहीं, बल्कि गाड़ी पर स्टिकर न लगाना भी आपको भारी पड़ सकता है। अगर आपने गाड़ी पर फ्यूल टाइप वाला कलर स्टिकर नहीं चिपकाया है, तो पांच हजार रुपये तक का चालान झेलना पड़ सकता है। जी हां, ये नया ट्रैफिक रूल अब सख्ती से लागू हो रहा है।
क्या है ये रंगीन स्टीकर वाला नियम?
दरअसल सरकार ने अब सभी वाहनों पर उनके फ्यूल टाइप के आधार पर एक खास रंग का स्टीकर लगाना जरूरी कर दिया है। इसका मकसद ये है कि किस गाड़ी में कौन सा ईंधन इस्तेमाल हो रहा है, ये ट्रैफिक पुलिस और अधिकारियों को एक झलक में पता चल सके। इससे गाड़ियों की जांच भी आसान हो जाती है और प्रदूषण पर भी नियंत्रण रहता है।
कौन से रंग का स्टीकर किस गाड़ी पर लगता है?
अब यहां थोड़ा ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि हर फ्यूल टाइप के लिए अलग रंग का स्टीकर तय किया गया है:
- डीजल वाहनों के लिए नारंगी रंग का स्टीकर
- पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के लिए हल्के नीले रंग का स्टीकर
- अन्य फ्यूल या इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग ग्रे रंग का स्टीकर
ये स्टीकर गाड़ी के आगे और पीछे की विंडशील्ड पर चिपकाया जाता है, ताकि वो आसानी से नजर आ जाए।
क्यों जरूरी है ये स्टीकर लगाना?
अब कई लोग सोचते हैं कि भला इससे क्या फर्क पड़ता है? लेकिन असल में ये एक छोटा सा स्टीकर बहुत बड़ी परेशानी से बचा सकता है। सोचिए अगर ट्रैफिक पुलिस ने आपकी गाड़ी रोक ली और उसमें ये स्टीकर न दिखा, तो सीधा पांच हजार रुपये तक का चालान काटा जा सकता है।
ये स्टीकर न सिर्फ आपकी गाड़ी की पहचान आसान बनाता है, बल्कि सरकार के प्रदूषण नियंत्रण अभियान में भी मदद करता है। गाड़ी में कौन सा ईंधन है, ये देखकर अधिकारियों को तय करना आसान हो जाता है कि कौन सी गाड़ी को कहां एंट्री मिलनी चाहिए और कहां नहीं।
मोटर व्हीकल एक्ट में क्या है नियम?
मौजूदा मोटर व्हीकल एक्ट के तहत अगर आपकी गाड़ी पर नियम के मुताबिक स्टीकर नहीं लगा है, तो उसे सीधे उल्लंघन माना जाएगा। इसमें ट्रैफिक पुलिस को ये अधिकार दिया गया है कि वो ऐसे वाहन चालकों पर जुर्माना लगा सके। यह नियम सभी तरह के निजी और व्यावसायिक वाहनों पर लागू होता है।
चालान से कैसे बचा जा सकता है?
अगर आप चाहते हैं कि आपका चालान न कटे और बेवजह का झंझट न हो, तो सबसे पहला काम यही करें कि अपने वाहन पर सही रंग का स्टीकर जरूर लगवा लें। ये स्टीकर आपको ऑथोराइज्ड एजेंसी या गाड़ी की आरसी बनवाते वक्त भी मिल सकता है। अगर पहले नहीं मिला हो तो आप किसी आरटीओ अधिकृत स्टीकर शॉप से इसे बनवा सकते हैं।
साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि स्टीकर सही जगह और साफ-साफ नजर आने वाली जगह पर चिपका हो, ताकि कोई विवाद ही न हो।
क्या होगा अगर स्टिकर नहीं लगाया?
अब इस नियम को हल्के में लेना ठीक नहीं है, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस अब इस नियम को लेकर काफी एक्टिव हो गई है। खासकर दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे बड़े शहरों में तो ये सख्ती से लागू किया जा रहा है। अगर आपने स्टीकर नहीं लगाया है और गाड़ी चेकिंग में पकड़ी गई, तो 5000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
और हां, कई बार ट्रैफिक पुलिस गाड़ी को जब्त भी कर सकती है अगर जरूरी दस्तावेज और स्टीकर न मिलें।
क्या इससे प्रदूषण पर फर्क पड़ेगा?
बिलकुल। सरकार का ये कदम दरअसल ग्रीन एनवायरनमेंट की दिशा में उठाया गया है। इससे ये तय किया जा सकता है कि किस क्षेत्र में किस तरह के फ्यूल वाली गाड़ियां चलेंगी। जैसे कुछ इलाकों में डीजल गाड़ियों की एंट्री बैन होती है, तो वहां स्टीकर देखकर तुरंत पहचान हो जाती है।
देखिए, ट्रैफिक रूल्स हमारी और आपके लिए ही बनाए गए हैं ताकि सड़कें सुरक्षित और सुविधाजनक बनी रहें। अगर एक छोटा सा स्टीकर लगवाने से आप पांच हजार रुपये का चालान और घंटों की झंझट से बच सकते हैं, तो इसमें देरी क्यों?
तो अगली बार जब भी गाड़ी लेकर निकलें, एक नजर अपनी विंडशील्ड पर जरूर डालें। कहीं स्टीकर गायब तो नहीं? अगर है, तो बढ़िया… अगर नहीं है, तो जल्दी से लगवा लीजिए।